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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 हिन्दी - हिन्दी का राष्ट्रीय काव्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2785
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 हिन्दी - हिन्दी का राष्ट्रीय काव्य - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 12
बालकृष्ण शर्मा नवीन

कवि कुछ ऐसी तान सुनाओ,
कोटि
कोटि कंठों से निकली आज यही स्वर धारा है

व्याख्या भाग

1. कवि कुछ ऐसी तान सुनाओ (विप्लव गायन)

कवि, कुछ ऐसी तान सुनाओ,
जिससे उथल-पुथल मच जाए,
एक हिलोर इधर से आए,
एक हिलोर उधर से आए,
प्राणों के लाले पड़ जाएँ,
त्राहि-त्राहि रव नभ में छाए,
नाश और सत्यानाशों का-
धुँआधार जग में छा जाए,
बरसे आग, जलद जल जाएँ,
भस्मसात भूधर हो जाएँ,
पाप-पुण्य सद्सत भावों की,
धूल उड़ उठे दायें-बायें,
नभ का वक्षस्थल फट जाए-
तारे टूक-टूक हो जाएँ
कवि कुछ ऐसी तान सुनाओ,
जिससे उथल-पुथल मच जाए।

शब्दार्थ - तान = कविता, गीत। हिलोर = लहर। त्राहि-त्राहि = बचाओ - बचाओ की पुकार। रव = शोर। जलद = बादल। भस्मसात= जलकर राख होना। भूधर = पहाड़। सद्सत = अच्छा। टूक- टूक = टुकड़े-टुकड़े।

सन्दर्भ - प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ राष्ट्रीय काव्य धारा के कवि बालकृष्ण 'नवीन' द्वारा रचित प्रसिद्ध कविता 'विप्लव गान' से उद्धृत है। यह कविता नंदकिशोर 'नवल' द्वारा सम्पादित पुस्तक 'स्वतन्त्रता पुकारती' संग्रह में संकलित है।

प्रसंग - इस कविता में कवि स्वयं को सम्बोधित कर रहा है, जबकि यह एक उद्बोधन गीत है। वस्तुतः कवि पूरे समाज को जाग्रत करना चाहता है। वह चाहता है कि समाज में क्रान्ति की आवश्यकता है। ऐसी क्रान्ति जो सारी व्यवस्था को उथल-पुथल कर दे और नवनिर्माण हो सके।

व्याख्या - कवि स्वयं से कहता है कि हे कवि! तुम एक ऐसी कविता लिखो और उसे ऐसी तान से गाओ कि उसे सुनकर चारों ओर क्रान्ति की लहरें उमड़ पड़े, सब कुछ उलट उलट हो जाए। चारों ओर से क्रान्ति की बचाओ- बचाओ का शोर धरती से लेकर आकाश तक छा जाए। दृश्य इतना भयंकर हो जाए कि किसी को कुछ दिखाई न पड़े, सब ओर अँधेरा छा जाए। आसमान से इतनी आग बरसे कि बादल भी भस्म हो जाएँ, पहाड़ तक जलकर राख हो जाएँ। पाप-पुण्य, अच्छा-बुरा कुछ भी समझ न आए। सारे भाव-विचार धूल बनकर इधर-उधर उड़ने लगे। आसमान फट जाए, तारे टुकड़े- टुकड़े होकर बिखर जाएँ। हे कवि! तुम ऐसी तान छेड़ो, जिससे सब उलट-पुलट जाए।

काव्यगत सौन्दर्य-

1. यहाँ कवि ने अपने शिल्प का प्रदर्शन किया है।
2. कवि ऐसी क्रान्ति चाहता है, जिससे नवनिर्माण हो सके।
3. भाषा - ओजपूर्ण खड़ी बोली।
4. रस - वीर, भयानक।
5. अलंकार - अनुप्रास, पुनरुक्तिप्रकाश, उल्लेख

(2)

नियम और उपनियमों के ये
बंधक टूक-टूक हो जाएँ,
विशम्भर की पोषक वीणा
के सब तार मूक हो जाएँ
शान्ति-दण्ड टूटे उस महा-
रुद्र का सिंहासन थर्राए
उसकी श्वासोच्छ्वास - दाहिका,
विश्व के प्रांगण में गहराए,
नाश! नाश!! हा महानाश!!! की
प्रलयंकारी आँख खुल जाए,
कवि, कुछ ऐसी तान सुनाओ
जिससे उथल-पुथल मच जाए।

शब्दार्थ - टूक-टूक = टुकड़े-टुकड़े। विशम्भर = ईश्वर। पोषक = पालन करने वाली। मूक = मौन। महारुद्र = शिव। श्वासोच्छ्वास दाहिका = साँसों की गर्मी से प्रलयंकारी = प्रलय मचा देने वाली।

सन्दर्भ एवं प्रसंग - पूर्ववत्।

व्याख्या - प्रस्तुत काव्य पंक्तियों में नवीन जी ज्ञान और नियमों के नाम पर थोपे गए विधि- निषेधों की धज्जियाँ उड़ाते हुए कहते हैं कि समाज के जितने भी नियम उपनियमों के बन्धन हैं, वह सब टुकड़े-टुकड़े हो जाएँ। संसार का भरण-पोषण करने वाली ईश्वरीय वीणा के तार मौन हो जाएँ अर्थात् सृष्टि के सारे कार्य बाधित हो जाएँ। महाशिव का शान्ति दण्ड टूटकर बिखर जाए और उनका सिंहासन काँप उठे। उनके श्वासों उच्छवासों की गर्मी से संसार के प्रांगण में विध्वंस मच जाए। चारों ओर नाश- नाश और महानाश की भयंकर ध्वनि गूँज उठे। ऐसा प्रलंयकारी शोर मचे कि शिव का तीसरा नेत्र खुल जाए और चारों ओर महाविनाश का भयावह दृश्य उपस्थित हो जाए। हे कवि! तुम ऐसी तान सुनाओ, जिससे सारी सृष्टि में हलचल मच जाए।

काव्यगत सौन्दर्य -

1. यहाँ कवि ने विनाशकारी दृश्यों की कल्पना के माध्यम से क्रान्ति का आह्वान किया है।
2. भाषा - ओजपूर्ण खड़ी बोली।
3. रस - वीर, भयानक।
4. अलंकार - अनुप्रास, पुनरुक्तिप्रकाश, रूपक।

(3)

कण-कण में हैं व्याप्त वही स्वर
रोम-रोम गाता है वह ध्वनि,
वही तान गाती रहती है,
कालकूट फणि की चिंतामणि,
जीवन - ज्योति लुप्त है-आहा !
सुप्त है संरक्षण की घड़ियाँ,
लटक रही हैं प्रतिपल में इस
नासक संभक्षण की लड़ियाँ।
चकनाचूर करो जग को, गूँजे
ब्रह्माण्ड नाश के स्वर से,
रुद्ध गीत की क्रुद्ध तान है
निकली मेरे अंतरतर से!

शब्दार्थ - कालकूट फणि= विषैले सर्प। नासक = विनाश करने वाली। संभक्षण = स्वयं को खा जाने वाली। अंतरतर = हृदय से।

सन्दर्भ एवं प्रसंग - पूर्ववत्।

व्याख्या - कवि आह्वान करता हुआ कहता है कि कण-कण में वही कठोर स्वर व्यक्त होगा। रोम-रोम से उसी ज्वलन्त गीत की ध्वनि गूँजेगी। जिस प्रकार विषैले नाग के फण से विनाशक चिंगारियाँ फूटती हैं, उसी प्रकार धरती पर महानाश जाग उठेगा। जैसे शेषनाग अपनी मणि की चिन्ता करता है, वैसे ही प्रत्येक मनुष्य नव-निर्माण की ओर अग्रसर होगा। कवि कहता है कि आज युवा पीढ़ी से जीवन की ज्योति लुप्त होती जा रही है अर्थात् जागरण के इन क्षणों में भी वह सुप्तावस्था में है, उसमें आगे बढ़ने की चाह समाप्तप्राय: है। विनाश की इस घड़ी में स्वयं का भक्षण कर देने वाले विचारों के प्रवाह को चकनाचूर कर दो, और सारे संसार को विनाश का स्वर सुना दो अर्थात् अपने बल का प्रदर्शन करो। कवि कहता है कि मेरे अवरुद्ध हुए कण्ठ से क्रुद्ध तान निकल रही है, वह मेरे हृदय से निकल रही है।

काव्यगत सौन्दर्य –

1. यहाँ कवि सुप्त युवा पीढ़ी को जाग्रत करना चाहता है, जो इस विषम और विकट समय में भी अपने में खोई है।
2. भाषा - ओजपूर्ण खड़ी बोली।
3. रस - वीर, भयानक।
4. अलंकार - अनुप्रास, पुनरुक्तिप्रकाश, रूपक, उपमा।

"जीवर में जंजीर पड़ी खन-खन
करती है मोहक स्वर से
बरसों की साथिन हूँ,
तोड़ोगे क्या तुम अपने इस कर से?
अंदर आग छिपी है,
इसे भड़क उठने दो एक बार अब,
ज्वालामुखी शान्त है,
इसे कड़क उठने दो एक बार अब
दहल जाय दिल, पैर लड़खड़ाएँ,
कंप जाय कलेजा उनका,
सिर चक्कर खाने लग जाए,
टूटे बंधन शासन- गुण का,
नाश स्वयं कह उठे कड़ककर उस गंभीर कर्कश से स्वर से
शुद्ध गीत की क्रुद्ध तान निकली है मेरे अंतरतर से!"

शब्दार्थ -
जीवर = पैरों में दहल जाय = काँप उठे। मोहक = आकर्षक, मोहने वाले।

सन्दर्भ एवं प्रसंग - पूर्ववत्।

व्याख्या - कवि कहता है कि बरसों से पैरों में पड़ी जंजीरें खनखनाते हुए मोहक स्वर से पूछ रही हैं कि मैं तुम्हारी बरसों की साथिन हूँ क्या मुझे तुम अपने हाथों से तोड़ दोगे? मेरे अन्दर विद्रोह की आग सुलग रही है और वह भड़क उठना चाहती है। मैं चाहता हूँ कि वह एक बार भड़क ही जाए। शान्त पड़े ज्वालामुखी की तरह ऐसे फटें कि उसके विस्फोट से अंग्रेजों का दिल काँप उठे, लड़खड़ाने लगे, सिर में चक्कर आने लगे और शासन सत्ता के सारे बन्धन छिन्न-भिन्न हो जाएँ। विनाश स्वयं अपने कड़क स्वर में बोल उठे और मेरे अवरुद्ध कण्ठ से क्रुद्ध तान फूट पड़े जो मेरे अन्तरमन से निकली है।

काव्यगत सौन्दर्य -

1. यहाँ कवि विनाश का गीत गाकर नवनिर्माण का संकेत देता है।
2. कवि गुलामी की जंजीरों को तोड़ देने के लिए तत्पर है।
3. भाषा - ओजपूर्ण खड़ी बोली।
4. रस - वीर, रौद्र एवं भयानक।
5. अलंकार - अनुप्रास, रूपक।

2. कोटि-कोटि कंठों से निकली आज यही स्वर धारा है

(5) 

कोटि-कोटि कंठों से निकली आज यही स्वर धारा है
भारतवर्ष हमारा है, यह हिन्दुस्तान हमारा है।
जिस दिन सबसे पहले जागे, नवल सृजन के स्वप्न घने,
जिस दिन देश-काल के दो-दो, विस्तृत विमल वितान तने,
जिस क्षण नभ में तारे छिटके, जिस दिन सूरज चाँद बने,
तब से है यह देश हमारा, यह अभिमान हमारा है।
भारतवर्ष हमारा है, यह हिन्दुस्तान हमारा है ! ॥1॥

शब्दार्थ - कोटि-कोटि = करोड़ों। कंठों = गलों से। नवसृजन = नये निर्माण। = अनेक कल्पनाएँ। विस्तृत = विशाल। विमल = स्वच्छ। वितान = तम्बू। छिटके = बिखरे

सन्दर्भ - प्रस्तुत पद्यांश 'हिन्दुस्तान हमारा हैं' शीर्षक कविता से लिया गया है। इसके रचयिता बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' हैं।

प्रसंग - कवि ने इस अंश में बताया है कि जिस समय से प्रकृति में चेतना का संचार हुआ तभी से हमारा देश गौरवशाली बना हुआ है।

व्याख्या - कविवर बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' कहते हैं कि करोड़ों देशवासियों के कंठ से यही स्वर निकल रहा है कि यह भारतवर्ष हमारा है, यह हिन्दुस्तान हमारा है। जिस दिन सबसे पहले नवीन निर्माण की अनेक कल्पनाओं को साकार करने की प्रबल इच्छा जाग्रत हुई, जिस दिन देश और काल के दो-दो विशाल एवं निर्मल तम्बू बनकर तैयार हुए, जिस दिन नभ में तारागणों का समूह बिखरा हुआ दिखाई दिया, जिस दिन सूर्य एवं चन्द्रमा का निर्माण हुआ, तभी से यह देश हमारा है। इस पर हमें अभिमान है। यह भारतवर्ष हमारा है, यह हिन्दुस्तान हमारा है।

काव्यगत सौन्दर्य -

1. कवि ने अनादिकाल से ही भारत की महत्ता का बखान किया है।
2. भाषा - सहज एवं सरल खड़ी बोली।
3. अलंकार - रूपक, अनुप्रास एवं मानवीकरण अलंकार।

(6)

जिस क्षण से जड़ उजकण गतिमय होकर जंगम कहलाए,
जब विहँसी थी प्रथम उषा वह, जब कि कमल-दल मुस्काए,
जब मिट्टी में चेतन चमका, प्राणों के झोंके आए,
है तबसे यह देश हमारा, यह मन-प्राण हमारा है!
भारतवर्ष हमारा है, यह हिन्दुस्तान हमारा है ! ॥3॥

शब्दार्थ - उजकण = चमकते हुए। गतिमय = गतिशील  जंगम = प्राणी। विहँसी = हँसी  थी। उषा = प्रात:कालीन सूर्य की लालिमा। कमल-दल = कमल की पंखुड़ियाँ।

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग – कवि की मान्यता है कि जिस क्षण से सृष्टि में प्राणों का संचार हुआ तभी से यह देश हमारा है।

व्याख्या - कविवर नवीन का कथन है कि जिस क्षण से जड़ चमकते हुए कण गतिशील बनकर प्राणों का संचार करने वाले कहलाए, जिस समय प्रथम उषा हँसी थी, जिस समय कमल दल मुस्कराए थे, जब मिट्टी में चेतन चमका था तथा प्राणों के झोंके आए थे तभी से यह देश हमारा है, यह हमें मन और प्राणों से भी प्यारा है। भारतवर्ष हमारा है, यह हिन्दुस्तान हमारा है।

काव्यगत सौन्दर्य-

1. कवि ने सृष्टि के आरम्भ से ही भारत की सत्ता मानी है।
2. भाषा - भावानुकूल सरल भाषा।
3. अलंकार - रूपक, अनुप्रास एवं मानवीकरण अलंकार।

 

यहाँ प्रथम मानव ने खोले, निदियारे लोचन अपने !
इसी नभ तले उसने देखे, शत-शत नवल सृजन- सपने!
यहाँ उठे 'स्वाहा' के स्वर, औ यहाँ 'स्वधा' के मन्त्र बने!
ऐसा प्यारा देश पुरातन, ज्ञान-निधान हमारा है!
भारतवर्ष हमारा है, यह हिन्दुस्तान हमारा है ! ॥4॥

शब्दार्थ - निंदियारे = नींद से भरे हुए। लोचन = नेत्र। नभ तले = आकाश के नीचे। शत शत =  सैंकड़ों।  नवल = नवीन। सृजन सपने = नये नये सपनों का निर्माण। स्वाहा के स्वर = सर्वस्व त्याग की भावना स्वधा = मंगलकारी। पुरातन = प्राचीन ज्ञान-विधान = ज्ञान का भण्डार।

सन्दर्भ एवं प्रसंग - पूर्ववत्।

व्याख्या – कविवर नवीन कहते हैं कि यहाँ मनुष्यों ने सर्वप्रथम अपनी नींद से भरे हुए नेत्र खोले थे। भाव यह है कि इस देश में सबसे पहले ज्ञान का प्रकाश प्रकट हुआ था। उस समय इसने इसी आकाश के नीचे नवीन सृष्टि के निर्माण के सपने संजोये थे। यहीं पर सर्वप्रथम स्वाहा (सर्वस्व त्याग की भावना) शब्द उच्चरित हुआ तथा यहीं पर स्वधा के मन्त्र बने थे। ऐसा हमारा प्राचीनतम देश ज्ञान का अक्षय भण्डार है। यह भारतवर्ष हमारा है, यह हिन्दुस्तान हमारा है।

काव्यगत सौन्दर्य -

1. कवि ने स्वाहा और स्वधा के प्रयोग द्वारा यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि वैदिक यज्ञों एवं मंत्रों का जन्मदाता यही देश है।
2. भाषा - भावानुकूल एवं सरल है।
3. अलंकार - रूपक, अनुप्रास एवं पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

(7)

क्या गणना है, कितनी लम्बी हम सबकी इतिहास लड़ी?
हमें गर्व है कि बहुत ही गहरे अपनी नींव पड़ी।
हमने बहुत बार सिरजी हैं कई क्रान्तियाँ बड़ी-बड़ी,
इतिहासों ने किया सदा ही अतिशय मान हमारा है!
भारतवर्ष हमारा है, यह हिन्दुस्तान हमारा है ! ॥7॥

शब्दार्थ - इतिहास लड़ी = इतिहास बताने वाली रेखाएँ। गर्व = अभिमान। सिरजी हैं = पैदा की है। क्रान्तियाँ = संघर्ष। अतिशय = अत्यधिक।

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - कवि का कथन है कि हमारे देशवासियों के इतिहास की लड़ी बहुत लम्बी है और समय-समय पर हमने अनेक क्रान्तियाँ की हैं।

व्याख्या – कविवर नवीन कहते हैं कि हमारे देश के इतिहास की लड़ी बहुत लम्बी है। इनकी गणना नहीं की जा सकती है। हमें इस बात का गर्व है कि हमारी संस्कृति की नींव बहुत ही गहरी गड़ी हुई है। यद्यपि समय-समय पर हमें अनेक विरोधियों के विरोध का सामना करना पड़ा है जिसके कारण हमने अनेक क्रान्तियों को भी जन्म दिया है। इतिहास इस बात का साक्षी है कि ईश्वर ने इन विपत्तियों में भी हमारी पूरी सहायता की और हम विजयश्री लेकर ही निकले। यह भारतवर्ष हमारा है, यह हिन्दुस्तान हमारा है।

काव्यगत सौन्दर्य -

1. कवि का कथन है कि भारतीय संस्कृति संसार की प्राचीनतम एवं लम्बी श्रृंखला वाली संस्कृति है।
2. भाषा - भावानुकूल सहज एवं सरल है।
3. अलंकार - अनुप्रास एवं मानवीकरण अलंकार।

(8)

गरज उठे चालीस कोटि जन, सुन ये वचन उछाह भरे,
काँप उठे प्रतिपक्षी जनगण, उनके अंतस्तल सिहरे;
आज नए युग के नयनों से, ज्वलित अग्नि के पुंज झरे;
कौन सामने आएगा? यह देश महान हमारा है!
भारतवर्ष हमारा है, यह हिन्दुस्तान हमारा है! ॥8॥

शब्दार्थ - कोटि करोड़ उछाह उत्साह (जोश)। प्रतिपक्षी शत्रु। अन्तस्तल हृदय। सिहरे काँप गये। ज्वलित जलते हुए। अग्नि के पुंज आग के गोले।

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - कवि ने भारतवासियों की उमंग और वीरता का वर्णन करते हुए कहा है।

व्याख्या - कविवर नवीन जी कहते हैं कि भारत के चालीस करोड़ भारतवासियों के उत्साह एवं जोश से भरे हुए वचनों की गर्जना सुनकर शत्रुओं के हृदय भय से काँपने लगे। आज उन देशवासियों को नवीन युग के सपनों को सजाने वाली आँखों से जलते हुए आग के गोले झर रहे थे। कहने का भाव यह है कि उनके नेत्रों से शत्रुओं को जला डालने वाला क्रोध टपक रहा था। ऐसे वीरों को देखकर कौन व्यक्ति उनके सामने आने का दुःस्साहस कर सकेगा? अर्थात् कोई नहीं। यह हमारा देश महान् है। भारतवर्ष हमारा है, यह हिन्दुस्तान हमारा है।

काव्यगत सौन्दर्य -

1. कवि ने भारतीय लोगों के वीर एवं उत्साह के भावों का वर्णन किया है।
2. भाषा - भावानुकूल खड़ी बोली।
3. रस - वीर।
4. अलंकार - अनुप्रास एवं रूपक अलंकार।

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    अनुक्रम

  1. अध्याय - 1 चंदबरदाई : पृथ्वीराज रासो के रेवा तट समय के अंश
  2. प्रश्न- रासो की प्रमाणिकता पर विचार कीजिए।
  3. प्रश्न- पृथ्वीराज रासो महाकाव्य की भाषा पर अपना मत स्पष्ट कीजिए।
  4. प्रश्न- पृथ्वीराज रासो को जातीय चेतना का महाकाव्य कहना कहाँ तक उचित है। तर्क संगत उत्तर दीजिए।
  5. प्रश्न- पृथ्वीराज रासो के सत्ताइसवें सर्ग 'रेवा तट समय' का सारांश लिखिए।
  6. प्रश्न- रासो शब्द की व्युत्पत्ति के सम्बन्ध में प्राप्त मतों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
  7. प्रश्न- पृथ्वीराज रासो' में अभिव्यक्त इतिहास पक्ष की विवेचना कीजिए।
  8. प्रश्न- विद्यापति भोग के कवि हैं? क्यों?
  9. अध्याय - 2 जगनिक : आल्हा खण्ड
  10. प्रश्न- जगनिक के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  11. प्रश्न- जगनिक कृत 'आल्हाखण्ड' का उल्लेख कीजिए।
  12. प्रश्न- आल्हा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- कवि जगनिक द्वारा आल्हा ऊदल की कथा सृजन का उद्देश्य वर्णित कीजिए। उत्तर -
  14. प्रश्न- 'आल्हा' की कथा का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  15. प्रश्न- कवि जगनिक का हिन्दी साहित्य में स्थान निर्धारित कीजिए।
  16. अध्याय - 3 गुरु गोविन्द सिंह
  17. प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  18. प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह की रचनाओं पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
  19. प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह' की भाषा पर प्रकाश डालिए।
  20. प्रश्न- सिख धर्म में दशम ग्रन्थ का क्या महत्व है?
  21. प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह के पश्चात् सिख धर्म में किस परम्परा का प्रचलन हुआ?
  22. अध्याय - 4 भूषण
  23. प्रश्न- महाकवि भूषण का संक्षिप्त जीवन और साहित्यिक परिचय दीजिए।
  24. प्रश्न- भूषण ने किन काव्यों की रचना की?
  25. प्रश्न- भूषण की वीर भावना का स्वरूप क्या है?
  26. प्रश्न- वीर भावना कितने प्रकार की होती है?
  27. प्रश्न- भूषण की युद्ध वीर भावना की उदाहरण सहित विवेचना कीजिए।
  28. अध्याय - 5 भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
  29. प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की शैलीगत विशेषताओं को निरूपित कीजिए।
  30. प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की भाव-पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  31. प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की भाषागत विशेषताओं का विवेचन कीजिए।
  32. प्रश्न- भारतेन्दु जी के काव्य की कला पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  33. प्रश्न- भीतर भीतर सब रस चूस पद की व्याख्या कीजिए।
  34. अध्याय - 6 अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
  35. प्रश्न- अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' का जीवन परिचय दीजिए।
  36. प्रश्न- अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' के काव्य की भाव एवं कला की भाव एवं कलापक्षीय विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- सिद्ध कीजिए अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्विवेदी युग के प्रतिनिधि कवि हैं।
  38. प्रश्न- हरिऔध जी का रचना संसार एवं रचना शिल्प पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- प्रिय प्रवास की छन्द योजना पर विचार कीजिए।
  40. प्रश्न- 'जन्मभूमि' कविता में कवि हरिऔध जी का देश की भूमि के प्रति क्या भावना लक्षित होती है?
  41. अध्याय - 7 मैथिलीशरण गुप्त
  42. प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त का जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए।
  43. प्रश्न- 'गुप्त जी राष्ट्रीय कवि की अपेक्षा जातीय कवि अधिक हैं। उपर्युक्त कथन की युक्तिपूर्ण विवेचना कीजिए।
  44. प्रश्न- गुप्त जी के काव्य के कला-पक्ष की समीक्षा कीजिए।
  45. प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त की कविता मातृभूमि का भाव व्यक्त कीजिए।
  46. प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त किस कवि के रूप में विख्यात हैं? उल्लेख कीजिए।
  47. प्रश्न- 'मातृभूमि' कविता में मैथिलीशरण गुप्त ने क्या पिरोया है?
  48. प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त के प्रथम काव्य संग्रह का क्या नाम है? साकेत की कथावस्तु का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  49. प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त ने आर्य शीर्षक कविता में क्या उल्लेख किया है?
  50. अध्याय - 8 जयशंकर प्रसाद
  51. प्रश्न- सिद्ध कीजिए "प्रसाद का प्रकृति-चित्रण बड़ा सजीव एवं अनूठा है।'
  52. प्रश्न- महाकवि जयशंकर प्रसाद के काव्य में राष्ट्रीय चेतना का निरूपण कीजिए।
  53. प्रश्न- 'प्रसाद' के कलापक्ष का विश्लेषण कीजिए।
  54. प्रश्न- 'अरुण यह मधुमय देश हमारा' कविता का सारांश / सार/ कथ्य अपने शब्दों में लिखिए।
  55. प्रश्न- प्रसाद जी द्वारा रचित राष्ट्रीय काव्यधारा से ओत-प्रोत 'प्रयाण गीत' का सारांश लिखिए।
  56. प्रश्न- जयशंकर प्रसाद जी का हिन्दी साहित्य में स्थान निर्धारित कीजिए।
  57. प्रश्न- प्रसाद जी के काव्य में नवजागरण की मुख्य भूमिका रही है। तथ्यपूर्ण उत्तर दीजिए।
  58. अध्याय - 9 सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
  59. प्रश्न- 'सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' एक क्रान्तिकारी कवि थे।' इस दृष्टि से उनकी काव्यगत प्रवृत्तियों की समीक्षा कीजिए।
  60. प्रश्न- 'निराला ओज और सौन्दर्य के कवि हैं। इस कथन की विवेचना कीजिए।
  61. प्रश्न- निराला के काव्य-भाषा पर एक निबन्ध लिखिए। यथोचित उदाहरण भी दीजिए।
  62. प्रश्न- निराला के जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  63. प्रश्न- निराला के काव्य में अभिव्यक्त वैयक्तिकता पर प्रकाश डालिए।
  64. प्रश्न- निराला के काव्य में प्रकृति का किन-किन रूपों में चित्रण हुआ है? स्पष्ट कीजिए।
  65. प्रश्न- निराला के साहित्यिक जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  66. प्रश्न- निराला की सांस्कृतिक चेतना पर प्रकाश डालिए।
  67. प्रश्न- निराला की विद्रोहधर्मिता पर प्रकाश डालिए।
  68. प्रश्न- महाकवि निराला जी की 'भारती जय-विजय करे' कविता का सारांश लिखिए।
  69. अध्याय - 10 माखनलाल चतुर्वेदी
  70. प्रश्न- माखनलाल चतुर्वेदी के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  71. प्रश्न- "कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी के काव्य में राष्ट्रीय चेतना लक्षित होती है।" इस कथन की सोदाहरण पुष्टि कीजिए।
  72. प्रश्न- 'माखनलाल जी' की साहित्यिक साधना पर प्रकाश डालिए?
  73. प्रश्न- माखनलाल चतुर्वेदी ने साहित्य रचना का महत्व किस प्रकार प्रकट किया?
  74. प्रश्न- साहित्य पत्रकारिता में माखन लाल चतुर्वेदी का क्या स्थान है
  75. प्रश्न- 'पुष्प की अभिलाषा' कविता का सारांश लिखिए।
  76. प्रश्न- माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित 'जवानी' कविता का सारांश लिखिए।
  77. अध्याय - 11 सुभद्रा कुमारी चौहान
  78. प्रश्न- कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालिए।
  79. प्रश्न- सुभद्रा कुमारी चौहान किस कविता के माध्यम से क्रान्ति का स्मरण दिलाती हैं?
  80. प्रश्न- 'वीरों का कैसा हो वसंत' कविता का सारांश लिखिए।
  81. प्रश्न- 'झाँसी की रानी' गीत का सारांश लिखिए।
  82. अध्याय - 12 बालकृष्ण शर्मा नवीन
  83. प्रश्न- पं. बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' जी का जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  84. प्रश्न- कवि बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' जी की राष्ट्रीय चेतना / भावना पर प्रकाश डालिए।
  85. प्रश्न- 'विप्लव गायन' गीत का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  86. प्रश्न- नवीन जी के 'हिन्दुस्तान हमारा है' गीत का सारांश लिखिए।
  87. प्रश्न- कवि बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' स्वाधीनता के पुजारी हैं। इस कथन को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
  88. अध्याय - 13 रामधारी सिंह 'दिनकर'
  89. प्रश्न- दिनकर जी राष्ट्रीय चेतना और जनजागरण के कवि हैं। विवेचना कीजिए।
  90. प्रश्न- "दिनकर" के काव्य के भाव पक्ष को निरूपित कीजिए।
  91. प्रश्न- 'दिनकर' के काव्य के कला पक्ष का विवेचन कीजिए।
  92. प्रश्न- रामधारी सिंह दिनकर का संक्षिप्त जीवन-परिचय दीजिए।
  93. प्रश्न- दिनकर जी द्वारा विदेशों में किए गए भ्रमण पर प्रकाश डालिए।
  94. प्रश्न- दिनकर जी की काव्यधारा का क्रमिक विकास बताइए।
  95. प्रश्न- शहीद स्तवन (कलम आज उनकी जयबोल) का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  96. प्रश्न- दिनकर जी की 'हिमालय' कविता का सारांश लिखिए।
  97. अध्याय - 14 श्यामलाल गुप्त 'पार्षद'
  98. प्रश्न- कवि श्यामलाल गुप्त का जीवन परिचय एवं राष्ट्र चेतना पर प्रकाश डालिए।
  99. प्रश्न- झण्डा गीत का सारांश लिखिए।
  100. प्रश्न- पार्षद जी ने स्वाधीनता आन्दोलन में शामिल होने के कारण क्या-क्या कष्ट सहन किये।
  101. प्रश्न- श्यामलाल गुप्त पार्षद के हिन्दी साहित्य में योगदान के लिए क्या सम्मान मिला?
  102. अध्याय - 15 श्यामनारायण पाण्डेय
  103. प्रश्न- श्यामनारायण पाण्डे के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालिए।
  104. प्रश्न- श्यामनारायण पाण्डेय ने राष्ट्रीय चेतना का संचार किस प्रकार किया?
  105. प्रश्न- श्यामनारायण पाण्डेय द्वारा रचित 'चेतक की वीरता' कविता का सार लिखिए।
  106. प्रश्न- 'राणा की तलवार' कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  107. अध्याय - 16 द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी
  108. प्रश्न- प्रसिद्ध बाल कवि द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी का जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  109. प्रश्न- 'उठो धरा के अमर सपूतों' का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  110. प्रश्न- वीर तुम बढ़े चलो गीत का सारांश लिखिए।
  111. अध्याय - 17 गोपालप्रसाद व्यास
  112. प्रश्न- कवि गोपालप्रसाद 'व्यास' का एक राष्ट्रीय कवि के रूप में परिचय दीजिए।
  113. प्रश्न- कवि गोपाल प्रसाद व्यास किस भाषा के मर्मज्ञ माने जाते थे?
  114. प्रश्न- गोपाल प्रसाद व्यास द्वारा रचित खूनी हस्ताक्षर कविता का सारांश लिखिए।
  115. प्रश्न- "शहीदों में तू अपना नाम लिखा ले रे" कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  116. अध्याय - 18 सोहनलाल द्विवेदी
  117. प्रश्न- कवि सोहनलाल द्विवेदी जी का जीवन और साहित्य क्या था? स्पष्ट कीजिए।
  118. प्रश्न- कवि सोहनलाल द्विवेदी के काव्य में समाहित राष्ट्रीय चेतना का उल्लेख कीजिए।
  119. प्रश्न- 'मातृभूमि' कविता का केन्द्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।
  120. प्रश्न- 'तुम्हें नमन' कविता का सारांश लिखिए।
  121. प्रश्न- कवि सोहनलाल द्विवेदी जी ने महात्मा गाँधी को अपने काव्य में क्या स्थान दिया है?
  122. प्रश्न- सोहनलाल द्विवेदी जी की रचनाएँ राष्ट्रीय जागरण का पर्याय हैं। स्पष्ट कीजिए।
  123. अध्याय - 19 अटल बिहारी वाजपेयी
  124. प्रश्न- कवि अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  125. प्रश्न- अटल बिहारी वाजपेयी के कवि रूप पर प्रकाश डालिए।
  126. प्रश्न- अटल जी का काव्य जन सापेक्ष है। सिद्ध कीजिए।
  127. प्रश्न- अटल जी की रचनाओं में भारतीयता का स्वर मुखरित हुआ है। स्पष्ट कीजिए।
  128. प्रश्न- कदम मिलाकर चलना होगा कविता का सारांश लिखिए।
  129. प्रश्न- उनकी याद करें कविता का सारांश लिखिए।
  130. अध्याय - 20 डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक'
  131. प्रश्न- डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालिए।
  132. प्रश्न- निशंक जी के साहित्य के विषय में अन्य विद्वानों के मतों पर प्रकाश डालिए।
  133. प्रश्न- डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक'के साहित्यिक जीवन पर प्रकाश डालिए।
  134. प्रश्न- हम भारतवासी कविता का सारांश लिखिए।
  135. प्रश्न- मातृवन्दना कविता का सारांश लिखिए।
  136. अध्याय - 21 कवि प्रदीप
  137. प्रश्न- कवि प्रदीप के जीवन और साहित्य का चित्रण कीजिए।
  138. प्रश्न- कवि प्रदीप की साहित्यिक अभिरुचि का परिचय दीजिए।
  139. प्रश्न- कवि प्रदीप किस विचारधारा के पक्षधर थे?
  140. प्रश्न- 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गीत का आधार क्या था?
  141. प्रश्न- गीतकार और गायक के रूप में कवि प्रदीप की लोकप्रियता कब हुई?
  142. प्रश्न- स्वतन्त्रता आन्दोलन में कवि प्रदीप की क्या भूमिका रही?
  143. अध्याय - 22 साहिर लुधियानवी
  144. प्रश्न- साहिर लुधियानवी का साहित्यिक परिचय दीजिए।
  145. प्रश्न- 'यह देश है वीर जवानों का' गीत का सारांश लिखिए।
  146. प्रश्न- साहिर लुधियानवी के गीतों में किन सामाजिक समस्याओं को उठाया गया है?
  147. अध्याय - 23 प्रेम धवन
  148. प्रश्न- गीतकार प्रेम धवन के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  149. प्रश्न- गीतकार प्रेम धवन के गीत देशभक्ति से ओतप्रोत हैं। स्पष्ट कीजिए।
  150. प्रश्न- 'छोड़ों कल की बातें' गीत किस फिल्म से लिया गया है? कवि ने इसमें क्या कहना चाहा है?
  151. प्रश्न- 'ऐ मेरे प्यारे वतन' गीत किस पृष्ठभूमि पर आधारित है?
  152. अध्याय - 24 कैफ़ी आज़मी
  153. प्रश्न- गीतकार कैफी आज़मी के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  154. प्रश्न- "सर हिमालय का हमने न झुकने दिया।" इस पंक्ति का क्या भाव है?
  155. प्रश्न- "कर चले हम फिदा जानोतन साथियों" गीत का प्रतिपाद्य / सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  156. प्रश्न- सैनिक अपनी मातृभूमि के प्रति क्या भाव रखता है?
  157. अध्याय - 25 राजेन्द्र कृष्ण
  158. प्रश्न- गीतकार राजेन्द्र कृष्ण के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  159. प्रश्न- 'जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती हैं बसेरा' गीत का मूल भाव क्या है?
  160. अध्याय - 26 गुलशन बावरा
  161. प्रश्न- गीतकार गुलशन बावरा के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  162. प्रश्न- 'मेरे देश की धरती सोना उगले गीत का प्रतिपाद्य लिखिए। '
  163. अध्याय - 27 इन्दीवर
  164. प्रश्न- गीतकार इन्दीवर के जीवन और फिल्मी कैरियर का वर्णन कीजिए।
  165. प्रश्न- 'है प्रीत जहाँ की रीत सदा' गीत का मुख्य भाव क्या है?
  166. प्रश्न- गीतकार इन्दीवर ने किन प्रमुख फिल्मों में गीत लिखे?
  167. अध्याय - 28 प्रसून जोशी
  168. प्रश्न- गीतकार प्रसून जोशी के जीवन और साहित्य का चित्रण कीजिए।
  169. प्रश्न- 'देश रंगीला रंगीला' गीत में गीतकार प्रसून जोशी ने क्या चित्रण किया है?
  170. प्रश्न- 'देश रंगीला रंगीला' गीत में कवि ने इश्क का रंग कैसा बताया है?

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